गुरुवार, 29 मई 2014

रिश्ते यूज़ एंड थ्रो.....

खरीदा, प्रयोग किया, फेंका
“यूज़ एण्ड थ्रो पेन”
रख दो कहीं भी किसी कोने 
फिर मिल जाएगा कहीं पड़ा 
कोई दूसरा ऐसा “यूज़ एण्ड थ्रो पेन” 
क्योंकि बाज़ार में मिलते ही हैं 
रंगबिरंगे, लुभावने, नए-नए 
एक से बढ़कर एक “यूज़ एण्ड थ्रो पेन”
खो जाने का डर नहीं 
टूट जाने का भी भय नहीं 
क्या हुआ, फिर से खरीद लाएंगे
एक नया-नवेला “यूज़ एण्ड थ्रो पेन”
ठीक ऐसे ही तो अब हो गए हैं
रिश्ते सभी “यूज़ एण्ड थ्रो”
प्रयोग करो, बदलो नित नए-नए
“रिश्ते यूज़ एंड थ्रो”....
भावनाओं की परवाह नहीं
नहीं प्रेम का नामोनिशान इसमें
आकर्षण से फूलें-पनपें
क्षण में बनते-टूटते रहते
“रिश्ते यूज़ एंड थ्रो”

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