शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

शीत विदा कर आया वसंत


नवल ऋतु का अभिवादन
शीत विदा कर आया वसंत
रंग-बिरंगे फूलों से
कुसुमित हुए बाग अत्यंत

भोर के मुख से सरकी
धुंधली चादर कोहरे की
फैलाए किरणों ने भी
सुनहरे पर सूरज की

धरती की दुल्हन ने ली
फिर उमंग भरी अंगड़ाई
प्रेम गीत से भंवरों ने भी
नव कलियाँ चटकाई

दृग भर उठे आमों के
बौराई डालों से
पवन हो गई चंचल
मदमाती सुगंध से

नव कोपलें देती हैं
तितलियों सा भान
पीली सरसों के खेत करें
ऋतुराज का आह्वान

श्री कृष्ण के कंठ से
माँ शारदे का उद्भूत हुआ
माघ शुक्ल पंचमी का
दिन पावन अभिभूत हुआ

हे ! माँ दूर करो हमारे
अज्ञानता के सारे तम
नमन करते आपका
हम सब भारत के जन